बहुत छळियलें नाथा व्यर्थ शिणविलें ॥
लावियलें तुम्हां घ्यायाला ।
यतिवेषा ऐशा वीरा आणिलें निंदास्पदतेला ।
तें सारेंही विसरुनी शेवटीं सौख्य दावियलें ॥
गीत | – | निलाक्षी जुवेकर ∙ मधुवंती दांडेकर |
नाटक | – | संगीत सौभद्र |
राग | – | भैरवी |
ताल | – | दादरा |
चाल | – | जिनी कसरीलो |
गीत प्रकार | – | नमन नटवरा |
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